Monday 23 August 2010

तल्खी

हर बात से नाराज हूँ ,
मैंने   तोड़  दिया हर साज़ ,
कुछ तल्खी सी है दिल में,
कोई धुन न बजी आज,

न सोचना कुछ भी न भूलना  कुछ भी
बस बाकि है एक उनकी यादाशत
कुछ तल्खी है दिल में कोई
धुन न बजी आज

हम तो तन्हा है तन्हा रहेंगे
भागता  रहे कोई अपने साये के साथ,
कुछ तल्खी सी है दिल में
कोई धुन न बजी आज

हम भी होगे महफ़िल में, जब होगा फैसला - ए- हुजूम
एक और मोहब्बत होगी कत्ल किसी काफ़िर के हाथ...
कुछ तल्खी सी है दिल में 
कोई धुन न बजी आज

कुछ मुनासिब उनको भी था आंसू बहाने का..
एक आशिक का जनाजा निकला उनके गली  से आज..
कुछ तल्खी सी है दिल में
कोई धुन न बजी आज

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