Monday 23 August 2010

तल्खी

हर बात से नाराज हूँ ,
मैंने   तोड़  दिया हर साज़ ,
कुछ तल्खी सी है दिल में,
कोई धुन न बजी आज,

न सोचना कुछ भी न भूलना  कुछ भी
बस बाकि है एक उनकी यादाशत
कुछ तल्खी है दिल में कोई
धुन न बजी आज

हम तो तन्हा है तन्हा रहेंगे
भागता  रहे कोई अपने साये के साथ,
कुछ तल्खी सी है दिल में
कोई धुन न बजी आज

हम भी होगे महफ़िल में, जब होगा फैसला - ए- हुजूम
एक और मोहब्बत होगी कत्ल किसी काफ़िर के हाथ...
कुछ तल्खी सी है दिल में 
कोई धुन न बजी आज

कुछ मुनासिब उनको भी था आंसू बहाने का..
एक आशिक का जनाजा निकला उनके गली  से आज..
कुछ तल्खी सी है दिल में
कोई धुन न बजी आज

Sunday 15 August 2010

मासूम शरारत...................

उस मासूम शरारत का क्या कहना ....
सूनी सड़क पर तनहा टहलना .....
और पूछना हाल दिल का ...दिल्लगी से....
क्या याद है दिन मुफलिसी का....

कोई क़द्र नहीं ज़ज्बातों की.....
कोई फायदा नहीं वफ़ा का भी....
लूट कर कोई खुश था तो खुश रहे....
वक़्त था फिर से दिल की दौलत लुटाने का...
और पूछना हाल दिल का ...दिल्लगी से....

क्या याद है दिन मुफलिसी का....



मैं भी कितना पागल था ......
उसे आपना माना जो न कभी अपना था...
शिकवा शिकायतों का दौर ख़तम कर .......
वक़्त था मैखाने जाने का.......
और पूछना हाल दिल का ...दिल्लगी से....

क्या याद है दिन मुफलिसी का....
.
सबको मुबारक हो वक़्त इश्क में डूबा हुआ....
आँखे  नसीब की आह्ट सुने  बिना सपने बुनते हुए ......
मैंने भी दोस्ती की उसकी जो बदनाम है ज़माने में .......
क्यूँ शिकवा करू गम भूलते हुए....
लैब पे नाम उनका आया ....हर नाम से पीता गया....
और पूछना हाल दिल का ...दिल्लगी से....

क्या याद है दिन मुफलिसी का....






तन्हा महफ़िल का शायर.............

हर मुस्कराहट में आंसू हैं फिर भी .......
हर पल में मुस्कुराता हूँ.....
तन्हा महफ़िल का शायर हूँ ....... फिर भी गीत सुनाता हूँ .....

कोई सिकवा नहीं कोई गिला नहीं  ...
भूला उसे जो मिला नहीं....
भूल जाना चाहता हूँ हर वो पल ....
जिस पल का कोई फलसफा नहीं...
तन्हा महफ़िल का शायर हूँ ....... फिर भी गीत सुनाता हूँ .....

नाराज था कभी खुदा से मैं....
कुछ ऐसी भी शिकायत थी.....
ख़ुशी  कभी न मिली मुझे .........
बस गम को दोस्त बनाता हूँ......
तन्हा महफ़िल का शायर हूँ ....... फिर भी गीत सुनाता हूँ .....

कोई तम्मना तो होगी उसकी भी .......
कुछ ख्वाहिशो को सजाय तो होगा....
खुदा भी हर ख्वाहिश से मरहूम है .......
मैं राज़ की बात बताता हूँ....
तन्हा महफ़िल का शायर हूँ ....... फिर भी गीत सुनाता हूँ .....