Wednesday 22 December 2010

मुझे इश्क हुआ .....

मुझे इश्क हुआ ,
हाँ जी , मुझे इश्क हुआ...
जिस जज्बात से महरूम था ....
उस जज्बे ने मुझको छुआ ....मुझे इश्क हुआ

गम के अल्फाज मेरी गजलों की कहानी नहीं ...
कोरा जज्बा है कोई निशानी नहीं..
खुदा को पा लिया मैंने...
मैंने नूर छुआ ....मुझे इश्क हुआ

उस नाजनी के चेहरे से शबनम की तरह..
बहता है दरिया समंदर से मिलने के लिए ...
हर मौज में एक अल्हरपन ...
हर कतरा एक पाक दुआ ....मुझे इश्क हुआ

उसके नूर को सजदा किया है काफिर ने...
ये आदत भी शामिल हुई मेरी कहानी में ....
सोचना भी छोड़ दिया ....
क्या भला क्या बुरा हुआ...
मुझे इश्क हुआ
हाँ जी, मुझे इश्क हुआ