Sunday 15 August 2010

तन्हा महफ़िल का शायर.............

हर मुस्कराहट में आंसू हैं फिर भी .......
हर पल में मुस्कुराता हूँ.....
तन्हा महफ़िल का शायर हूँ ....... फिर भी गीत सुनाता हूँ .....

कोई सिकवा नहीं कोई गिला नहीं  ...
भूला उसे जो मिला नहीं....
भूल जाना चाहता हूँ हर वो पल ....
जिस पल का कोई फलसफा नहीं...
तन्हा महफ़िल का शायर हूँ ....... फिर भी गीत सुनाता हूँ .....

नाराज था कभी खुदा से मैं....
कुछ ऐसी भी शिकायत थी.....
ख़ुशी  कभी न मिली मुझे .........
बस गम को दोस्त बनाता हूँ......
तन्हा महफ़िल का शायर हूँ ....... फिर भी गीत सुनाता हूँ .....

कोई तम्मना तो होगी उसकी भी .......
कुछ ख्वाहिशो को सजाय तो होगा....
खुदा भी हर ख्वाहिश से मरहूम है .......
मैं राज़ की बात बताता हूँ....
तन्हा महफ़िल का शायर हूँ ....... फिर भी गीत सुनाता हूँ .....

4 comments:

  1. आपकी तारीफ के लिए धन्यवाद् ... बस अपना प्यार बनाये रखियेगा

    ReplyDelete
  2. खुदा का याद दिलाया आपने
    अपने फ़साने में
    कब के भूले थे उन्हें हम भी
    किसी जन्नत को पाने में

    ReplyDelete