Monday 10 October 2011

खुद की तलाश

मैं कौन हूँ ?


एक सवाल हूँ ..

खुद उसका जवाब हूँ...

मैं दरिया हूँ..... समंदर की तलाश है...

मैं पंछी हूँ ..खुला आकाश है...

मैं ही सपनो की पीछे भागता हूँ...

मृग मरीचिका जान लौट आता हूँ..

मैं ही शायरों का सरताज हूँ...फिर भी गजल नहीं, न कोई आवाज़ है.

भागता हूँ ठोकरों से सम्हालता हूँ ....

रूठ कर मंजिल से नए रास्ते खोजता हूँ..

हसिनाओ का आशिक .......वज्र की ललकार हूँ ..

मैं नपुंसक, मैं ही भीरू ...

मैं ही कामदेव का अवतार हूँ

शक्ति की परिभाषा ...शौर्य का उदहारण ....मैं ही कायर ..डरपोक हूँ ..

उल्लास का विषय ...जीवन का शोक हूँ...

शाहखर्च हूँ...... जीवन की आय हूँ...

नास्तिक भी हूँ ........... इश्वर का न्याय हूँ ...

इतना जान कर मत सोचना की भगवान् हूँ...

अरे बन्दे मैं तो तेरी तरह ही "आम" इंसान हूँ ..

2 comments:

  1. आपकी तारीफ के लिए धन्यवाद् ... बस अपना प्यार बनाये रखियेगा

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